10 प्रतिशत कमीशन के चक्कर में चलता है सारा खेल
बस्सी। सट्टा जुआ पर नियंत्रण हुआ तो अब लोगों ने सभी के सामने खुले मैदान में एक खेल ऐसा निकाला कि जिसे मोबाइल पर खेलते हुए लाखों रुपए का दांव लगने लगे हैं। जी हां बस्सी व आसपास के क्षेत्रों में लूडो किंग का खेल वैसे तो मनोरंजन का खेल हुआ करता है। लेकिन अब इस पर लाखों करोडों रुपयों के दांव लगने से इसे कुछ लोगों ने जुआ का रूप दे दिया है। बस्सी, कानोता, सांभरिया, तूंगा व बांसखोह क्षेत्र में शायद ही ऐसा कोई चौराहा या तिराहा होगा जहां पर बाइकों पर रखकर या किसी दुकान किनारे बैठकर मोबाइल पर लूडो का गेम नहीं खेला जा रहा हैं। बस्सी में तो यहां तक लोगों ने इस खेल के लिए वेबसाइट बना डाली हैं।
- लूडो किंग के सटोरियों ने बना डाली वेबसाइट
बस्सी क्षेत्र में लूडो किंग का इतना बोल बाला है कि यहां पर सटोरियों ने एक 'अपना लूडो डॉट कॉम, नाम से वेबसाइट तक बना डाली। इस वेबसाइट में साइन अप, साइन इन, वॉलेट, टेबल लगाना आदि के बारे में बताया गया है। इस वेबसाइट में अमित यादव नाम के युवक की ओर से यूट्यूब पर वीडियो भी अपलोड किया गया है। इस वीडियो में वेबसाइट पर ऐसे आईडी बनाये व इसे खेलने का तरीका समझाया गया है।
खबर का विडियो यहां देखे...
https://www.youtube.com/watch?v=xk2ehCLHZn0&feature=youtu.be
- व्हाट्सएप व टेलीग्राम के जरिए लगाते हैं दांव
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप व टेलीग्राम पर विभिन्न तरीके से ग्रुप बना दिए जाते हैं और इन ग्रुपों के अलग-अलग नाम रख लिए जाते हैं। यहीं से 10 परसेंट के हिसाब से खेल शुरू होता है। लूडो किंग के दांव में क्रिएट व ज्वाइन और कोड के जरिए टेबल बनाई जाती है। टेबल में जितने का दाम होगा उसी हिसाब से दस प्रतिशत काटकर जीतने वाले को ऑनलाइन भुगतान कर दिया जाता है।
- ग्रुप एडमिन कमीशन से 1 दिन में कमा आ रहे हैं हजारों
व्हाट्सएप टेलीग्राम पर सटोरियों द्वारा ग्रुप बनाया गया है। इस ग्रुप में स्कूली विद्यार्थियों से लेकर बड़े सटोरियों तक को जोड़ा हुआ है। एक ग्रुप में एक दिन में करीब चार से पांच लाख रुपए तक का खेल हो जाता है। बस्सी व आसपास के क्षेत्रों में ऐसे ग्रुपों में करोड़ों का खेल हो जाता हैं।
- बच्चे भी नहीं है दूर इस खेल से
लूडो पर सट्टे के दांवों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी खेलने लग गए हैं। इस खेल में किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। यह मन चाहे रुपयों पर खेला जा रहा है। बच्चे गली, चौराहे, नुक्कड़ पर इस खेल को खेलते हुए देखे जा सकते हैं।